पुनीत पर्व शरद पूर्णिमा | Poem in Hindi on Sharad Purnima

पुनीत पर्व शरद पूर्णिमा ( Puneet parva sharad purnima )    ज्योत्स्ना मचल रही,अमिय वृष्टि करने को षोडश कला सोम छवि, अनूप कांतिमय श्रृंगार । स्नेहिल मोहक सौंदर्य, अंतर सुरभिमय आगार । धरा रज रज भावविभोर, तृषा तृप्ति कलश भरने को । ज्योत्स्ना मचल रही, अमिय वृष्टि करने को ।। पटाक्षेप काम क्रोध द्वेष, शीतलता … Continue reading पुनीत पर्व शरद पूर्णिमा | Poem in Hindi on Sharad Purnima