मुल्क के सुमन | Poem Mulk ke Suman
मुल्क के सुमन ( Mulk ke suman ) हम मुल्क के मासूम सुमन हम धरती माता के धन हम कोमल है पर सबल है धुर्ब जैसे सदैब अटल गगन उगलता आग हो छिड़ा मरण का राग हो लहू का अपना फाग हो हम वही अनुराग है क्या कर सकेगा दौरे जमां हमारा मिट जायेंगें … Continue reading मुल्क के सुमन | Poem Mulk ke Suman
Copy and paste this URL into your WordPress site to embed
Copy and paste this code into your site to embed