बनारस भाग-२ ( Banaras ) ब्रह्मा, विष्णु सदा विराजें, करता है गुणगान बनारस। बँधती गँठरी पुण्य की देखो, सुख की है खान बनारस। दोष-पाप सब दूर है करता, ऐसा है वो घाट बनारस। खल-कामी,लोभी- अज्ञानी, इन सबका है काट बनारस। गंगा की लहरों में जीवन, शीतल-मंद-सुगंध बनारस। कल्- वृक्ष के जैसा है वो, ऋषि,मुनि … Continue reading बनारस भाग-२ | Poem on Banaras
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