पिता | Poem on father in Hindi
पिता ( Pita ) संस्कार वटवृक्ष के जैसे प्रेम बहे नदिया के जैसे शीतलता में चांद के जैसे धीर धरे धरती के जैसे स्थिर शांत समंदर जैसे अडिग रहे पर्वत के जैसे छाव दिये अम्बर के जैसे धन उनपर कुबेर के जैसे समस्याओं का हल हो जैसे सारे घर की नींव हो जैसे रुके … Continue reading पिता | Poem on father in Hindi
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