तबस्सुम | Poem on Tabassum

तबस्सुम ( Tabassum )    तरोताजगी भर जाती तबस्सुम महफिल को महकाती तबस्सुम दिलों के दरमियां प्यारा तोहफा चेहरों पे खुशियां लाती तबस्सुम गैरों को अपना बनाती तबस्सुम रिश्तो में मधुरता लाती तबस्सुम खिल जाता दिलों का चमन सारा भावों की सरिता बहाती तबस्सुम घर को स्वर्ग सा सुंदर बनाती तबस्सुम सुंदरता में चार चांद … Continue reading तबस्सुम | Poem on Tabassum