प्रियतम तुमको प्राण पुकारें | Priyatam Tumko

प्रियतम! तुमको प्राण पुकारें ( Priyatam tumko pran pukare )    अंतस्तल की आकुलता को देख रहे हैं नभ के तारे। निविड़ निशा की नीरवता में, प्रियतम तुमको प्राण पुकारे। सब कुछ सूना सा लगता है। प्रतिपल व्यथा भाव जगता है। कोई दस्यु सदृश ठगता है। रोम रोम कंपित हो जाता, किसी अनागत भय के … Continue reading प्रियतम तुमको प्राण पुकारें | Priyatam Tumko