रागिनी | Kavita Ragini

” रागिनी “ ( Ragini ) सुमधुर गुंजार कोकिल चमक चपला सी चलन का।   रुचिर सरसिज सुमनोहर अधर रति सम भान तन का।   गगन घन घहरात जात लजात लखि लट लटकपन का।   मधुप कलियन संग लेत तरंगता खंजन नयन का।   पनग सूर्य अशेष पावत मात दुति मणि दंतनन का।   धरत … Continue reading रागिनी | Kavita Ragini