राम दरबार ( Ram darbar ) अमरावती पृथ्वी पे जैसे, इन्द्र का दरबार। अद्भुत सुहाना सरस हो, श्रीराम का दरबार। भवहीन तन आनंद मन,सौन्दर्य नयनभिराम, श्रीराम का मन्दिर जहाँ, मन जाए बारम्बार। साकेत दमके पुनः पथ, दर्पण का हो एहसास। श्रीराम जी आए है जैसै, तन में थम गयी सांस। तोरण … Continue reading राम दरबार | Kavita
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