कलयुगी दोहे ( Kalyugi dohe ) झूठ बराबर तप नही,सांच बराबर पाप। जाके हृदय झूठ है,ताके हृदय है आप।। रिश्वत लेना धर्म है,सच बोलना है पाप। दोनो को अपनाइए,मिट जाएंगे संताप।। माखन ऐसा लगाईये, बॉस खुश हो जाए। बिना काम के ही,प्रमोशन जल्दी हो जाए।। गंगा नहाए से पाप धुले,मै सागर … Continue reading कलयुगी दोहे | Rastogi ke dohe
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