सच्चाई की ताकत | Sachai ki taqat poem

सच्चाई की ताकत ( Sachai ki taqat )  किन्तु परन्तु में न अमूल्य समय गंवाए, जो बात सही हो, खरी खरी कह जाएं। होती अद्भुत है सच्चाई की ताकत, छिपाए नहीं छिपती,है करती लज्जित होकर प्रकट। लज्जा अपमान जनक पीड़ादायक भी होती है, आजीवन पीछा नहीं छोड़ती है। लोग भूल भी जाएं- पर अपने हृदय … Continue reading सच्चाई की ताकत | Sachai ki taqat poem