उर तृषा सदा तृप्त | Sada Tript
उर तृषा सदा तृप्त ( Ur trisha sada tript ) उर तृषा सदा तृप्त, नेह से संसर्ग कर पगडंडियां व्याकुल दिग्भ्रमित, उच्चवाचन मरीचि प्रभाव । सुख समृद्धि मंगलता दूर, निर्णयन क्षमता अभाव । अथक श्रम सफलता चाहना, विराम पल उत्सर्ग कर । उर तृषा सदा तृप्त, नेह से संसर्ग कर ।। नैतिक आचार विचार, … Continue reading उर तृषा सदा तृप्त | Sada Tript
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