ठंड से कांप रहा | Sardi Par Kavita

ठंड से कांप रहा ( Thand se kaanp raha )    कोई चादर से बाहर नंगे बदन आज भी है। स्वार्थ तज दो करो भला शुभ काज भी है। ठंडक से कांप रहा कोई क्या ये अंदाज भी है। ठिठुर रहा सड़क पर कोई सर्द से आज भी है। कोहरा ओस का आलम छाया शीतलहर … Continue reading ठंड से कांप रहा | Sardi Par Kavita