शख्सियत | Shakhsiyat

शख्सियत ( Shakhsiyat )    बदल तो लेते हालात भी हम गर साथ भी तुम्हारा मिल गया होता झुका लेते हम तो जमाने को भी गर हाथों मे हाथ मिल गया होता गलियों से गुजरने मे चाहत थी तुम्हारी आज भी वो यादें दफन हैं सीने में गैरों पर उछलने के काबिल ही कहां यादों … Continue reading शख्सियत | Shakhsiyat