श्मशान | Shamshan par Bhojpuri Kavita
” श्मशान ” भोजपुरी कविता ( Shamshan ) चार कंधा पे पड़ाल एगो लाश रहे फूल ,पईसा के होत बरसात रहे राम नाम सत्य ह सब केहू कहत जात रहे केहु रोआत रहे केहू चिल्लात रहे भीड़ चलत रहे ओके साथ मे जे समाज से अलग रहे, आज हांथ में आग ले सब कुछ … Continue reading श्मशान | Shamshan par Bhojpuri Kavita
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