शरद वेदना (ककहरा) | Kahkara sharad vedna

शरद वेदना (ककहरा) ( Sharad Vedna – Kahkara )    कंगरी सगरी लघु नीर भई बदरी छतरी बनि धावत है।   खटिया मचिया सब ढील भये हथिया बजरी पसरावत है।   गरवा हरवा जस बंध लगे बिछुवा पग चाल बढ़ावत है।   घुंघटा लटका छटका न टिका पवना सर से सरकावत है।।   चमकी चमके … Continue reading शरद वेदना (ककहरा) | Kahkara sharad vedna