कुछ रात ठहरी सी | Shero shayari
कुछ रात ठहरी सी ( Kuch raat gehri si ) कुछ रात ठहरी सी है , स्याह सी, गहरी सी है धुंध को ओढ़े सी है , कई राज समेटे सी है सर्द सी , जर्द सी , सीने में अलाव लिए हुए कांपती, कंपाती सी , दिल को हाथ में थामे सी … Continue reading कुछ रात ठहरी सी | Shero shayari
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