शिखा खुराना जी की कविताएँ | Shikha Khurana Hindi Poetry

शीत ऋतु हाड़ कंपकंपाती सर्दी का आगाज़ हो रहा है।किटकिटाते दांतों को ठंड का अंदाज हो रहा है। सर्दी का कहर बरपा है शीत लहर बनकर।कोहरे की चादर बिछी है हवा में ज़हर बनकर। बूंदें ओस की शबनम के मोती सी गिर‌ रही हैं पतों पर।शीत का आगमन शारदीय फूल गिरा रहा है छतों पर। … Continue reading शिखा खुराना जी की कविताएँ | Shikha Khurana Hindi Poetry