शिखा खुराना जी की कविताएँ | Shikha Khurana Hindi Poetry
वक्त – एक नज़्म आईना था वो उसका चेहरा। अकस दिखता था उसमें मेरा। बहुत एहतियात से रखते थे संभलकर। चकनाचूर हुआ जब ठेस लगी दिल पर। अपनी सूरत को जो वो रोज़ देता था बदल। अब तो असल भी लगने लगी थी नक़ल। वो जाने क्यों हमें छुप छुप कर परखते रहे । हम … Continue reading शिखा खुराना जी की कविताएँ | Shikha Khurana Hindi Poetry
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