स्मृतियों के झरोखे से | Smritiyon ke Jharokhon se
स्मृतियों के झरोखे से ( Smritiyon ke Jharokhon se ) स्मृतियों के खोल झरोखे, दृष्टि विगत पर डाली। कितनी ही रूपाकृतियों ने, आभा क्षणिक उछाली। जो तारे से उदित हुये, वे जाने कहां हले। जो जीवन से सराबोर थे, पड़कर चिता जले। जिनका हाथ पकड़कर हमने चलना है सीखा, जाने किस अनजाने देश को वे … Continue reading स्मृतियों के झरोखे से | Smritiyon ke Jharokhon se
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