श्रीमती उमेश नाग की कविताएं

हास्य काव्य करना है कुछ काम तोकुछ ऐसा कार्य करो।घर घर बैठे बैठे लम्बी लम्बी,बात करो जिसका आदि- अन्त न हो।हवा में बात उड़ाते जाओ,झूठ भी सच लगे ऐसे बकबक करते जाओ।करने धरने में क्या रखा है,जो व्यर्थ बात बनाने में है।होंठों को हिलाने में जो रस है,वह हाथ हिलाने में कभी नही।जीवन जागृति में … Continue reading श्रीमती उमेश नाग की कविताएं