स्तवन | Stavan

स्तवन *सरस्वती शारद ब्रम्हाणी!जय-जय वीणा पाणी!!*अमल-धवल शुचि,विमल सनातन मैया!बुद्धि-ज्ञान-विज्ञानप्रदायिनी छैंया।तिमिरहारिणी,भयनिवारिणी सुखदा,नाद-ताल, गति-यतिखेलें तव कैंया।अनहद सुनवाई दो कल्याणी!जय-जय वीणापाणी!!*स्वर, व्यंजन, गण,शब्द-शक्तियां अनुपम।वार्णिक-मात्रिक छंदअनगिनत उत्तम।अलंकार, रस, भाव,बिंब तव चारण।उक्ति-कहावत, रीति-नीति शुभ परचम।कर्मठ विराजित करते प्राणीजय-जय वीणापाणी!!*कीर्ति-गान कर,कलरव धन्य हुआ है।यश गुंजाता गीत,अनन्य हुआ है।कल-कल नाद प्रार्थना,अगणित रूपा,सनन-सनन-सन वंदनपवन बहा है।हिंदी हो भावी जगवाणीजय-जय वीणापाणी!! संजीव सलिल यह … Continue reading स्तवन | Stavan