सुराही जाम टकराने लगे हैं

सुराही जाम टकराने लगे हैं नज़र मंज़र ये क्या आने लगे हैंचमन में फूल मुरझाने लगे हैं सियासत चल रही है ख़ूब उनकीजो ख़ाबों से ही बहलाने लगे हैं वज़ीरों की सियासत देखियेगाबदलकर केचुली आने लगे हैं बनाकर गीदड़ों ने फौज अपनीवो शेरों पर ही गुर्राने लगे हैं भिखारी बन के जो आये थे कल … Continue reading सुराही जाम टकराने लगे हैं