स्वाभाविक | Swabhavik

स्वाभाविक ( Swabhavik )    हर रात अंधेरे का ही प्रतीक नही होती तीस रातों मे एक रात होना स्वाभाविक है उजाले के दिनकर को भी होता है ग्रहण हर किसी मे कुछ कमी होना स्वाभाविक है कभी टटोलकर देखिए खुद के भीतर भी आपमे भी कमी का होना स्वाभाविक है पूर्णता की तलाश मे … Continue reading स्वाभाविक | Swabhavik