तमाम बस्ती जला रहा है

तमाम बस्ती जला रहा  है     तमाम    बस्ती  जला   रहा  है। मकान   अपना   बचा  रहा है।।   नहीं  किसी  की  बचेगी हस्ती । बिसात  ऐसी   बिछा  रहा है  ।।   वो घोल करके दिलों में नफ़रत। जहां से  उल्फ़त  मिटा रहा है।।   वो दोष औरों के सर पे मढ़कर। बेदाग़  ख़ुद को  दिखा  … Continue reading तमाम बस्ती जला रहा है