तेरे हुस्न पर कामरानी लुटा दी

तेरे हुस्न पर कामरानी लुटा दी तेरे हुस्न पर कामरानी लुटा दीबुलंदी की हर इक निशानी लुटा दी ख़ुदा ने सँवारा सजाया चमन कोगुलों पे सभी मेहरबानी लुटा दी फ़िजाओं में नफ़रत का विष घोल कर केमुहब्बत की सारी कहानी लुटा दी ख़ज़ाना किया सारा खाली उन्होंनेकि हासिल हुई राजधानी लुटा दी करें रोज़ क़ुदरत … Continue reading तेरे हुस्न पर कामरानी लुटा दी