तुम साधना हो तुम ईश्वर की अनुपम संचेतना होरचित ह्दय प्रेम की गूढ़ संवेदना होक्या कहा जाए अद्भुत सौन्दर्य वालीतुम सृष्टि की साकार हुई साधना हो । घुँघराले केश, मृगनयनी, तेज मस्तकअंग सब सुअंग लगें यौवन दे दस्तक।ठुड्डी और कनपटी बीच चमके कपोलकवि सहज अनुभूति की तुम पालना हो । तुझसे जुड़कर कान की बाली … Continue reading तुम साधना हो
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