तुम जरा ठहरो | Tum zara thehro
तुम जरा ठहरो ( Tum zara thehro ) तुम जरा ठहरो मुझे कुछ, और बाते करनी है। दरमियान जो फासलें है, उसको मुझको भरनी है। एक बार बस सुन तो लो तुम,मुझको जो कहना है वो, खत्म होती सी कहानी, मुझको फिर से लिखनी है। किसकी गलती थी यहाँ और,किसकी रस्म … Continue reading तुम जरा ठहरो | Tum zara thehro
Copy and paste this URL into your WordPress site to embed
Copy and paste this code into your site to embed