स्पृहा नीरव पथ पर, नेह अमिय स्पंदन

स्पृहा नीरव पथ पर,नेह अमिय स्पंदन   उर तरंग नवल आभा, प्रसून सदृश मुस्कान । परम स्पर्शन दिव्यता, यथार्थ अनूप पहचान । मोहक स्वर अभिव्यंजना, परिवेश सुरभि सम चंदन । स्पृहा नीरव पथ पर,नेह अमिय स्पंदन ।। अनुभूति सह अभिव्यक्ति , मिलन अहम अभिलाषा । कृत्रिमता विलोपन पथ, प्रस्फुटित नैसर्गिक भाषा। अंतर्नाद मंगल मधुर, नैतिकता … Continue reading स्पृहा नीरव पथ पर, नेह अमिय स्पंदन