वात्सल्य की प्रतिमूर्ति-हिन्दी

वात्सल्य की प्रतिमूर्ति-हिन्दी मेरी हिन्दी, प्यारी हिन्दी।सब की है दुलारी हिन्दी। सब भाषायें दुनिया भर की,हुई समाहित हिन्दी में।पर संस्कृत है रही प्रमुख ही,अपनी प्यारी हिन्दी में। महावीर हरिश्चन्द्र आदि ने,समय समय पर अपने ढंग से,खूब संवारी अपनी हिन्दी।हर भाषा से प्यारी हिन्दी। बोलें हिन्दी में जब भी हम,मन मिश्री घुल जाती।मां सम लोकाचार सिखाती,अनुपम … Continue reading वात्सल्य की प्रतिमूर्ति-हिन्दी