आँखों आँखों में दास्तान हुई | Vinay Sagar Poetry

आँखों आँखों में दास्तान हुई ( Aankhon aankhon mein dastan hui )   आँखों आँखों में दास्तान हुई यह ख़मोशी भी इक ज़बान हुई   इक नज़र ही तो उसको देखा था इस कदर क्यों वो बदगुमान हुई   कैसा जादू था उसकी बातों में एक पल में ही मेरी जान हुई   इस करिश्मे … Continue reading आँखों आँखों में दास्तान हुई | Vinay Sagar Poetry