वोटवा तव हर केहू चाहे | Vote Par Bhojpuri Kavita
वोटवा तव हर केहू चाहे वोटवा तव हर केहू चाहे, आपन कहावेवाला के बा। जीतले पे उड़ि ऊ सुगनवाँ हो, चेहरा दिखावेवाला के बा। पांच साल मुड़ि-मुड़ि रहिया निहरली, परछाईं नेताजी कै नाहीं देख पउली। फिर से दिखाइहैं ऊ अंजोरिया हो, चँदनिया बिछावेवाला के बा। जीतले पे उड़ि ऊ सुगनवाँ हो, चेहरा दिखावेवाला के … Continue reading वोटवा तव हर केहू चाहे | Vote Par Bhojpuri Kavita
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