एक ग़ैर मुरद्दफ़ ग़ज़ल | वो चाहता तो

वो चाहता तो तसकीन उसके दिल को मिलती मुझे रुलाकेपूरी जो कर न पाऊं फरमाइशें बताके। वो चाहता तो चाहे कब उसको है मनाहीदिक्कत वो चाहता है ले जाना दिल चुरा के। मंजिल जुदा जुदा है जब उसकी और मेरीतब दिल का हाल उसको क्या फायदा सुना के। कहता है उंसियत में इज़हार है ज़रूरीरूठा … Continue reading एक ग़ैर मुरद्दफ़ ग़ज़ल | वो चाहता तो