यादों के बसेरों में कुछ भुला.. कुछ याद रहा

1992 से अन्ना उभरने शुरू हुए थे.. अकोला में दंगे के बाद जैन समाज के कुछ वरिष्ठ लोग दंगाग्रस्त क्षेत्र का निरीक्षण करने आए थे तब साथ मे अन्ना भी थे और उनको तब मैं बहुत अधिक नही जानता था। हम सब लोग चल रहे थे तो मैने अन्ना जी को कहा कि आप उधर … Continue reading यादों के बसेरों में कुछ भुला.. कुछ याद रहा