युद्ध के बोझ से | Yuddh Par Kavita

युद्ध के बोझ से ( Yuddh ke bojh se )   क्यों न आसमां को सुस्ताने दिया जाए, कुछ बरस तक युद्ध को जाने दिया जाए। इंशा की लालच का कोई इंतिहाँ नहीं, पहचाने जो चेहरा आईना दिया जाए। युद्ध के बोझ से वो कब का है थका, बैठ गई आवाज, गर्म पानी दिया जाए। … Continue reading युद्ध के बोझ से | Yuddh Par Kavita