जमीन ( Zameen ) जो जमीन से जुड़े रहे संस्कार उन्हीं में जिंदा है देशद्रोही गद्दारों से हमारी भारत माता शर्मिंदा है हरी भरी हरियाली धरती बहती मधुर बयार यहां देशभक्ति दीप जले मन में जोशीले उद्गार जहां यह जमी यह आसमा पर्वत नदियां लगे भावन अविरल बहती गंगधारा बलखाती सरिता … Continue reading जमीन | Zameen kavita
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