आदि भारती श्री चरण वंदन नैसर्गिक सौंदर्य अप्रतिम, रज रज उद्गम दैविक उजास । मानवता शीर्ष शोभित पद , परिवेश उत्संग उमंग उल्लास । स्नेह प्रेम भाईचारा अथाह, अपनत्व आह्लाद संबंध बंधन । आदि भारती श्री चरण वंदन ।। विविधा अनूप विशेषण, एकत्व उद्घोष अलंकार । संज्ञा गौण कर्म पहचान, संघर्ष विरुद्ध जोश हुंकार … Continue reading आदि भारती श्री चरण वंदन
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