आड़ी तिरछी राह जिंदगी | Aadi tirchi raah zindagi | Kavita
आड़ी तिरछी राह जिंदगी ( Aadi tirchi raah zindagi ) हो रही गुमराह जिंदगी आड़ी तिरछी राह जिंदगी बदल रही जीने की राहें ढूंढ रही पनाह जिंदगी सद्भावों के मेले लगते प्रेम प्यार दिलों में सजते कहां गया वो वक्त सलोना भाई भाई मन में बसते स्वार्थ के मारे सब घूमे सारे … Continue reading आड़ी तिरछी राह जिंदगी | Aadi tirchi raah zindagi | Kavita
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