अब मैं तुम्हें चाहने लगा

अब,मैं तुम्हें चाहने लगा अंतरंग विमल प्रवाह, प्रीत पथ भव्य लगन । मृदुल मधुर चाह बिंब, तन मन अनंत मगन । निहार अक्स अनुपमा, हृदय मधुर गाने लगा । अब,मैं तुम्हें चाहने लगा ।। जनमानस व्यवहार पटल, सर्वत्र खनक सनक । परिवार समाज रिश्ते नाते, सबको हो गई भनक । हर घड़ी हर पहर मुझे, … Continue reading अब मैं तुम्हें चाहने लगा