ऐसे रंग भरो | Aise rang bharo | Kavita
ऐसे रंग भरो ( Aise rang bharo ) दिक्-दिगंत तक कीर्ति-गंध से सुरभित पवन करो ! दमक उठे जननी का आंचल , ऐसे रंग भरो !! झिलमिल-झिलमिल उड़े गगन में मां का आंचल धानी । लिखो समय के वक्षस्थल पर ऐसी अमिट कहानी ।। ऊर्ध्व भाग में रंग शौर्य का केसरिया लहराये । … Continue reading ऐसे रंग भरो | Aise rang bharo | Kavita
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