Hindi Poetry On Life | Hindi Poem -अंतर्द्वंद

अंतर्द्वंद ( Antardwand ) ** लौट आई हैं वो जाकर, धूल धूसरित बदहवास चौखट खड़ी निराश अचंभित घरवाले सभी और नौकर चाकर। प्रश्न अनेक हैं मन में लगी आग है तन में क्या कहूं? क्या करूं सवाल? हो जाए न कुछ बवाल! सोच सभी हैं खामोश, फिर स्वागत का किया जयघोष। पहले अंदर आओ! जा … Continue reading Hindi Poetry On Life | Hindi Poem -अंतर्द्वंद