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लौट आई हैं
वो जाकर,
धूल धूसरित बदहवास
चौखट खड़ी निराश
अचंभित घरवाले सभी
और नौकर चाकर।
प्रश्न अनेक हैं मन में
लगी आग है तन में
क्या कहूं?
क्या करूं सवाल?
हो जाए न कुछ बवाल!
सोच सभी हैं खामोश,
फिर स्वागत का किया जयघोष।
पहले अंदर आओ!
जा कमरे में हो फ्रेश,
बदलो तुम अपनी ड्रेस।
बताना न बताना
मर्जी तुम्हारी,
पर पुनः भाग न जाना
अर्जी हमारी!