अपने हक को जाने | Apne Hak ko Jane

अपने हक को जाने ( Apne hak ko jane )  वह मां थी दो बेटो की बुढ़ापे में ढूंढते ढूंढते पास मेरे वो आई थी बिना पूछे ही बयां करती आंखें छल छला आई थी l खुद के घर में खुद रहने को अधिकार मांगने आई थी l शब्दों के तीखे वाणों से छलनी होकर … Continue reading अपने हक को जाने | Apne Hak ko Jane