hindi poetry on life || अशांत मन
अशांत मन ( Ashant Man ) शांत प्रकृति आज उद्वेलित, हृदय को कर रही है। वेदना कोमल हृदय की, अश्रु बन कर बह रही है। चाहती हूं खोद के पर्वत, बना नई राह दूं । स्वर्ण आभूषण में जकड़ी, जंग सी एक लड़ रही हूं। घूघंटो के खोल पट, झांकू खुले आकाश … Continue reading hindi poetry on life || अशांत मन
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