औरत ( Aurat ) ( 2 ) औरत फूलों की तरह….नाज़ुक सी होती है, मगर…काँटों को भी पलकों से वो चुनती है, उसके चरित्र की धज्जियां दुनिया उड़ाती है, फिर भी.मोहब्बतों से इसको वो सजाती है, रखी है जिसके पैरों के नीचे ख़ुदा ने जन्नत, उठाके चरित्र पे उँगली भेजते उसपे लानत, चलते हैं उसके … Continue reading औरत | Aurat
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