बदल रहा है जीवन का ही सार कहने को तो बदल रहा है,जीवन का ही सार। यूं तो शिक्षा के पंखों से,भरकर नयी उड़ान।बना रही हैं आज बेटियां,एक अलग पहचान।फिर भी सहने पड़ते उनको,अनगिन अत्याचार।कहने को तो बदल रहा है,जीवन का ही सार। तोड़ बेड़ियां पिछड़ेपन की,बढ़ने को हैं आतुर।इधर-उधर मन के भीतर पर,बैठा है … Continue reading बदल रहा है जीवन का ही सार
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