बदले की आग ( Badle ki aag ) बदले की आग बना देती है अंधा और को जलाने की खातिर हृदय में धधकती ज्वाला स्वयं के अस्तित्व को भी बदल देती है राख में वक्त पर क्रोधित होना भी जरूरी है किंतु समाधान के रास्ते भी कभी बंद नहीं होते विकल्प ढूंढना जरूरी है … Continue reading बदले की आग | Badle ki Aag
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