बरतरी | Bartari

बरतरी ( Bartari )   क़दमों को संभाल कर चलो भटक जाएंगे, सर झुकाए रखो चुनरी सरक जाएंगे, हम बेटियों को ही यह नसीहतें करते जाएंगे, बेटों को कहते नहीं कि निगाहों से भटक जाएंगे, कपड़ों पर तो कभी श्रृंगार पर टिप्पणी करेंगे, क्यों उनके ही जज़्बात फांसी पर लटक जाएंगे, लड़के क्यों नहीं नज़रें … Continue reading बरतरी | Bartari