बसंत | Basant kavita

बसंत ( Basant )   चंचल मन हिलोरे लेता, उमंग भरी बागानों में। पीली सरसों ओढ़े वसुंधरा, सज रही परिधानों में ।   मादक गंध सुवासित हो, बहती मधुर बयार यहां। मधुकर गुंजन पुष्प खिले, बसंत की बहार यहां ।   गांव गांव चौपालों पर, मधुर बज रही शहनाई है। अलगोजों पर झूम के नाचे, … Continue reading बसंत | Basant kavita