![Kavita basant Basant kavita](https://thesahitya.com/wp-content/uploads/2022/01/Kavita-basant-696x464.jpg)
बसंत
( Basant )
चंचल मन हिलोरे लेता, उमंग भरी बागानों में।
पीली सरसों ओढ़े वसुंधरा, सज रही परिधानों में ।
मादक गंध सुवासित हो, बहती मधुर बयार यहां।
मधुकर गुंजन पुष्प खिले, बसंत की बहार यहां ।
गांव गांव चौपालों पर, मधुर बज रही शहनाई है।
अलगोजों पर झूम के नाचे, देखो लोग लुगाई है।
मदमाती बयार वासंती, मन में हर्ष जगाती है।
हरियाली से लदी धरा, कोयल कूक सुनाती है।
मन मयूरा नाचे मधुबन, सरिताए इठलाती सी।
गांव की गौरी मधुवन में, चलती बलखाती सी।
चहुंओर सुंदर नजारे, कुदरत खेल दिखाती है।
भंवरों संग खिलती कलियां,बागों को महकाती है।
सौंदर्य में चार चांद, मदमस्त हवा का झोंका।
जीवन का आनंद वसंत, ऋतुराज बड़ा अनोखा।।
कवि : रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )