बटवारा

बटवारा   बूढ़े बरगद के चबूतरे पर घनेरी छांव में। देखो फिर एक आज बंटवारा हुआ है गांव में।। कुछ नये सरपंच तो कुछ पुराने आये, कुछ बुझाने तो कुछ आग लगाने आये। बहुत चालाक था बूढ़ा कभी न हाथ लगा, पुराने दुश्मनों के जैसे आज भाग्य जगा। पानी कब तक उलचें रिसती नाव में।। … Continue reading बटवारा