Hindi poem on Bazaar | Hindi Kavita -बाजार
बाजार ( Bazaar ) गहन तम में उजाले कि,क्यो मुझसे बात करते हो। अन्धेरों मे ही जब मुझसे वफा की, बात करते हो। नही पहचान पाते हो जब मुझे, दिन के उजालों में, मोहब्बत वासना है फिर भी क्यो जज्बात कहते हो। ये महफिल है मोहब्बत की,शंमा हर रात जलती है। सुलगते जिस्म … Continue reading Hindi poem on Bazaar | Hindi Kavita -बाजार
Copy and paste this URL into your WordPress site to embed
Copy and paste this code into your site to embed